Veer Bal Divas Par Nibandh Hindi Main: वीर बाल दिवस पर निबंध हिंदी में

Published On: December 21, 2025
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Veer Bal Divas Par Nibandh Hindi Main: वीर बाल दिवस पर निबंध हिंदी में

Veer Bal Divas Par Nibandh Hindi Main: हर साल 26 दिसंबर को हम वीर बाल दिवस मनाते हैं। यह दिन बहुत खास है। मुझे जब पहली बार इस दिन के बारे में पता चला, तो मन में एक अजीब सी गर्व की भावना आई। जैसे कोई अपना ही भाई इतना बहादुर हो। वीर बाल दिवस पर निबंध लिखते हुए मुझे अपनी छोटी बहन की याद आती है। वह भी इतनी ही उम्र की होगी जितनी उन वीर बच्चों की थी। सोचती हूं कि अगर हमारी जगह वे होते, तो क्या करते?

दोस्तों, यह दिन सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के चार बेटों को याद करने के लिए है। उन्हें साहिबजादे कहते हैं। बड़े दो साहिबजादे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह थे। वे युद्ध में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। लेकिन सबसे छोटे दो – बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह – उनकी कहानी तो दिल को छू जाती है। जोरावर सिंह सिर्फ नौ साल के थे और फतेह सिंह छह साल के। इतनी छोटी उम्र में उन्होंने इतना बड़ा साहस दिखाया कि आज भी सुनकर आंखें भर आती हैं।

मेरी दादी जी अक्सर पुराने किस्से सुनाती हैं। वे कहती हैं कि उस समय मुगल शासक लोग सिखों पर बहुत जुल्म करते थे। गुरु जी के परिवार को अलग कर दिया गया। छोटे साहिबजादों को पकड़ लिया गया। उन्हें कहा गया कि अपना धर्म बदल लो, तो जान बख्श देंगे। लेकिन उन बच्चों ने मना कर दिया। वे डरे नहीं। वे हंसते हुए कहते थे कि हम अपने पिता की तरह मजबूत हैं। हम सच के साथ रहेंगे। आखिर में उन्हें बहुत कष्ट दिया गया, लेकिन वे नहीं डगमगाए। उनकी दादी माता गुजरी जी भी साथ थीं। वे भी बहुत बहादुर थीं।

स्कूल में जब हम यह कहानी सुनते हैं, तो सब चुप हो जाते हैं। मेरे दोस्त राहुल ने एक बार कहा, “यार, अगर हमारी जगह होते तो शायद डर जाते।” लेकिन फिर हम सोचते हैं कि बहादुरी उम्र की मोहताज नहीं होती। घर में जब मैं अपनी छोटी बहन से लड़ती हूं छोटी-छोटी बातों पर, तो अब सोचती हूं कि वे बच्चे कितने बड़े थे। वे खेलने-कूदने की उम्र में इतना बड़ा बलिदान दे गए। आजादी की लड़ाई में भी कई बच्चे ऐसे थे जो घर छोड़कर निकल पड़े। वीर बाल दिवस हमें यही सिखाता है कि सच के लिए खड़ा होना कितना जरूरी है।

मुझे याद है, पिछले साल स्कूल में वीर बाल दिवस पर हमने नाटक किया था। मैं माता गुजरी जी बनी थी। जब साहिबजादों की बहादुरी का डायलॉग बोल रही थी, तो सब तालियां बजा रहे थे। घर आकर मम्मी से बताया तो वे भी भावुक हो गईं। वे बोलीं, “बेटा, ऐसे दिनों से हमें सीख मिलती है कि अच्छाई हमेशा जीतती है।” मेरे पापा कहते हैं कि आज के बच्चे मोबाइल में खोए रहते हैं, लेकिन इन कहानियों से हमें पता चलता है कि असली बहादुरी क्या होती है।

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वीर बाल दिवस पर निबंध लिखकर मुझे लगता है कि हम सबके अंदर एक छोटा सा वीर छिपा है। कभी शरारत करने में, कभी गलत बात का विरोध करने में। मेरी सहेली प्रिया ने एक बार स्कूल में बुलिंग देखा तो डटकर विरोध किया। सबने कहा, “तू कितनी बहादुर है!” उस दिन मुझे साहिबजादों की याद आई। हम छोटे हैं, लेकिन दिल बड़ा रखें तो कुछ भी कर सकते हैं।

आज वीर बाल दिवस हमें प्रेरणा देता है। हमें अच्छे इंसान बनना चाहिए। पढ़ाई में मेहनत करनी चाहिए। दूसरों की मदद करनी चाहिए। और कभी डरना नहीं चाहिए। गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादे हमेशा हमारे दिल में जियेंगे। वे हमें सिखाते हैं कि प्यार, सच्चाई और हिम्मत से बड़ा कुछ नहीं। आइए, हम सब मिलकर इस दिन को मनाएं और वादा करें कि हम भी अपने देश और धर्म के लिए हमेशा मजबूत रहेंगे। जय हिंद!

Raj Dhanve

Raj Dhanve has over 10 years of rich experience in the banking, finance, and insurance sectors. He possesses in-depth knowledge and extensive experience in blogging as well as website development on a wide range of topics, including education, schemes, loans, investments, the share market, social issues, and many others.

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