महात्मा ज्योतिबा फुले निबंध हिंदी में (Mahatma Jyotiba Phule Essay in Hindi)

Published On: November 28, 2025
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महात्मा ज्योतिबा फुले निबंध हिंदी में (Mahatma Jyotiba Phule Essay in Hindi)

Mahatma Jyotiba Phule Essay in Hindi: महात्मा ज्योतिबा फुले भारत के एक महान समाज सुधारक थे। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के पुणे के पास एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता नातू फुले फूलों की मालाएं बनाते थे और माली जाति से थे। उस समय जाति प्रथा के कारण निचली जातियों को बहुत अन्याय सहना पड़ता था। बचपन से ही ज्योतिबा को यह अन्याय दिखता था और उनका दिल दुखता था। उन्हें लगता था कि सभी लोगों को बराबर का हक मिलना चाहिए।

ज्योतिबा का बचपन बहुत साधारण था। स्कूल में उनकी जाति के कारण उन्हें अपमान सहना पड़ता था। लेकिन वे बहुत होशियार थे। एक बार उनके एक दयालु शिक्षक ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें पढ़ने में मदद की। यह बात सुनकर मन में बहुत खुशी होती है। ज्योतिबा को समझ आ गया कि शिक्षा से ही लोगों का जीवन बदल सकता है। उन्होंने ठान लिया कि वे सभी को पढ़ने का मौका देंगे।

Mahatma Jyotiba Phule Essay in English

13 साल की उम्र में ज्योतिबा का विवाह सावित्रीबाई से हुआ। सावित्रीबाई बहुत बुद्धिमान थीं। ज्योतिबा ने घर पर ही उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया। उस समय लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन 1848 में ज्योतिबा फुले ने पुणे में पहली लड़कियों की स्कूल खोली। इसे सावित्रीबाई चलाती थीं। लोगों को यह पसंद नहीं आया। वे सावित्रीबाई पर पत्थर फेंकते, गंदगी डालते। ज्योतिबा को यह देखकर बहुत गुस्सा और दुख होता था। लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा। उन्होंने कहा, “शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है।”

महात्मा ज्योतिबा फुले के प्रमुख कार्य

कार्यवर्षमहत्व
पहली लड़कियों की स्कूल1848महिला शिक्षा की शुरुआत
सत्यशोधक समाज1873जाति भेदभाव समाप्ति
गुलामगिरी पुस्तक1873अन्याय के खिलाफ जागरूकता
विधवा विवाह1851समाज सुधार

ज्योतिबा फुले ने केवल लड़कियों के लिए ही नहीं, बल्कि शूद्र और अति शूद्र जातियों के बच्चों के लिए भी स्कूल खोले। 1873 में उन्होंने सत्यशोधक समाज की स्थापना की। इस समाज ने सभी जातियों को समान अधिकार दिलाने का काम किया। उन्होंने विधवाओं के पुनर्विवाह के लिए लड़ाई लड़ी। बाल विवाह बंद करने के लिए भी काम किया।

ज्योतिबा फुले ने गुलामगिरी नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में उन्होंने जाति व्यवस्था के अन्याय के बारे में बताया। यह पुस्तक पढ़कर मन को बहुत दुख होता है। उन्होंने कई साल किसान और व्यापारी के रूप में भी काम किया। उन्होंने अपने काम के लिए कभी पैसे नहीं लिए। वे सच्चे महात्मा थे।

ज्योतिबा फुले का मानवीय पक्ष

ज्योतिबा फुले ने एक ईसाई अनाथ बच्चे को गोद लिया और उसे अपना बेटा बनाया। उन्हें सभी इंसान बराबर लगते थे। 28 नवंबर 1890 को उनका देहांत हो गया। लेकिन उनके विचार आज भी जीवित हैं।

आज के समय में उनका महत्व:

आज हम सभी बच्चे स्कूल जा सकते हैं, यह ज्योतिबा फुले के संघर्ष के कारण ही संभव हुआ। लड़कियों को शिक्षा का मौका मिला। उनका जीवन देखकर हमें प्रेरणा मिलती है। ज्योतिबा फुले ने कहा था, “शिक्षा अंधकार में प्रकाश का किरण है।” उनके ये शब्द बिल्कुल सही हैं।

निष्कर्ष

महात्मा ज्योतिबा फुले मानवता के सच्चे प्रतीक थे। उन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनका जीवन हमें सिखाता है कि एक व्यक्ति का संघर्ष कितना बड़ा बदलाव ला सकता है। हमें उनके विचारों को अपनाना चाहिए। ज्योतिबा फुले जैसा बनने की कोशिश करनी चाहिए। उनके कारण ही आज का भारत अधिक समान हुआ है।

महात्मा ज्योतिबा फुले के कुछ प्रेरणादायक विचार:

  • “बिना शिक्षा के स्वतंत्रता अधूरी है।”
  • “सभी मनुष्य समान हैं।”
  • “जाति का भेदभाव समाज का सबसे बड़ा शत्रु है।”

ज्योतिबा फुले का जीवन पढ़कर मन में गर्व और श्रद्धा का भाव जागता है। वे हमें बताते हैं कि सच्चा परिवर्तन दिल से और हिम्मत से होता है।

Raj Dhanve

राज धनवे यांना बँकिंग, फायनान्स आणि इन्शुरन्स क्षेत्रात 10+ वर्षांचा समृद्ध अनुभव आहे. त्यांना शिक्षण, योजना, कर्ज, गुंतवणूक, शेयर मार्केट, सामाजिक आणि इतर बऱ्याच विषयावर ब्लॉग लिहण्याचे तसेच वेबसाईट बनवण्याचे सखोल ज्ञान आणि अनुभव आहे.

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