दहेज प्रथा पर निबंध: Dahej Pratha Par Nibandh in Hindi

Published On: March 7, 2025
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दहेज प्रथा पर निबंध: Dahej Pratha Par Nibandh in Hindi

Dahej Pratha Par Nibandh in Hindi: प्राचीन समय से ही समाज में अनेक परंपराएँ और रीति-रिवाज चले आ रहे हैं। इनमें से कुछ परंपराएँ समाज के लिए लाभकारी रही हैं, तो कुछ समाज के लिए हानिकारक सिद्ध हुई हैं। ऐसी ही एक कुप्रथा है दहेज प्रथा, जो न केवल एक सामाजिक बुराई है, बल्कि यह समाज के नैतिक मूल्यों को भी कमजोर करती है। यह प्रथा विशेष रूप से भारतीय समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी है, जो आज भी अनेक परिवारों को पीड़ा और संकट में डाल रही है।

दहेज प्रथा पर निबंध: Dahej Pratha Par Nibandh in Hindi

दहेज प्रथा का अर्थ और स्वरूप

दहेज प्रथा का अर्थ है विवाह के समय लड़की के माता-पिता द्वारा वर पक्ष को धन, गहने, वस्त्र, वाहन, संपत्ति या अन्य कीमती वस्तुएँ देना। यह प्रथा समाज में प्रतिष्ठा और परंपरा के नाम पर इतनी गहराई तक बैठ गई है कि इसे निभाना माता-पिता के लिए एक मजबूरी बन गया है। वर पक्ष के लोग इसे अपने अधिकार की तरह समझते हैं, जबकि कन्या पक्ष इसे अपने सम्मान से जोड़कर देखता है। इस प्रथा का सबसे दुखद पहलू यह है कि यदि लड़की दहेज लेकर नहीं आती है, तो उसे कई तरह के शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है।

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दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव

दहेज प्रथा के कारण समाज में कई प्रकार की गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। यह न केवल कन्या पक्ष के लिए अभिशाप बन गई है, बल्कि कई बार यह वर पक्ष के लिए भी दुर्भाग्यपूर्ण सिद्ध होती है। इस कुप्रथा के कारण समाज में कई लड़कियों की शादी नहीं हो पाती, जिससे उनकी पूरी जिंदगी दुख और पीड़ा में बीतती है।

इसके अलावा, दहेज के कारण कई नवविवाहित महिलाओं को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है, जिससे कई बार वे आत्महत्या तक करने को मजबूर हो जाती हैं। आए दिन अखबारों में दहेज हत्या, आत्महत्या और घरेलू हिंसा की खबरें देखने को मिलती हैं, जो इस कुप्रथा की भयावहता को दर्शाती हैं।

दहेज प्रथा के कारण समाज में धन की असमानता भी बढ़ रही है। गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार अपनी बेटियों की शादी के लिए कर्ज लेते हैं, जिससे वे आर्थिक संकट में आ जाते हैं। कई बार तो कर्ज चुकाने के लिए माता-पिता को अपनी जमीन और संपत्ति तक बेचनी पड़ती है। यह स्थिति समाज में असमानता और अन्याय को जन्म देती है।

दहेज प्रथा का उन्मूलन और समाधान

दहेज प्रथा जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए सरकार और समाज, दोनों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत में दहेज को रोकने के लिए दहेज निषेध अधिनियम 1961 लागू किया गया, जिसके तहत दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध घोषित किए गए हैं। इसके बावजूद, यह प्रथा अब भी समाज में व्याप्त है, क्योंकि लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है।

इस प्रथा को जड़ से मिटाने के लिए समाज को जागरूक करना होगा। लड़कियों को शिक्षित बनाना होगा ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और दहेज जैसी कुप्रथाओं का विरोध कर सकें। लड़कों को भी यह समझाने की जरूरत है कि विवाह किसी व्यापार की तरह नहीं होना चाहिए, बल्कि यह दो परिवारों के बीच प्रेम और विश्वास का बंधन होना चाहिए।

युवाओं को आगे आकर इस बुराई के खिलाफ आवाज उठानी होगी। यदि प्रत्येक व्यक्ति ठान ले कि वह दहेज नहीं लेगा और न ही देगा, तो इस कुप्रथा को समाप्त किया जा सकता है। माता-पिता को भी यह समझना चाहिए कि बेटी कोई बोझ नहीं, बल्कि उनका अभिमान है।

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निष्कर्ष

दहेज प्रथा समाज के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। यह एक ऐसी कुप्रथा है, जिसने न जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर दी है। इसे जड़ से खत्म करने के लिए हमें अपनी सोच बदलनी होगी और समाज में जागरूकता फैलानी होगी। जब लोग अपने बेटों को दहेज लेने से रोकेंगे और अपनी बेटियों को आत्मनिर्भर बनाएंगे, तभी यह प्रथा पूरी तरह समाप्त हो सकेगी। विवाह प्रेम और विश्वास पर आधारित होना चाहिए, न कि पैसों के लेन-देन पर। जब समाज इस सच्चाई को स्वीकार कर लेगा, तभी दहेज प्रथा का पूर्ण रूप से अंत हो सकेगा।

Raj Dhanve

Raj Dhanve has over 10 years of rich experience in the banking, finance, and insurance sectors. He possesses in-depth knowledge and extensive experience in blogging as well as website development on a wide range of topics, including education, schemes, loans, investments, the share market, social issues, and many others.

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